PAAPI KAUN NAHI
आज राजेश खन्ना जी का एक गाना बार बार मन में आ रहा
है," यार हमारी बात सुनो, ऐसा एक इंसान
चुनो, जिस ने पाप न किया हो जो पापी न हो " है ऐसा कोई एक भी इंसान अगर है
तो सिर्फ वही उस लड़की को दोष दे सकता है जो एक लड़की चंडीगढ़ की बीमार हुई है / उसने
क्या गलती कर दी जो उसके पीछे पड़े हो, कौन जान बूज कर अपनी फॅमिली को भी खतरे में डालता
है, उसने वही किया उसे ठीक लगा, उसको ताने देना बंद करो / कोरोना से वच भी गयी तो आप
लोगो के ताने उसे सारी ज़िन्दगी चैन से जीने नहीं देंगे/
उसको और जो सब लोग बीमार हैं उनको हमारी
दुआ की ज़रूरत है, उन सब के लिए ईश्वर से प्रार्थना करो / और एक दूसरे को दोष देना भी बंद करना चाहिए उसके बदले भगवान का
नाम लो और जो काम बाकी हैं उनको खत्म करो
/
वैसे भी इस
सृष्टि में दोषी कौन नहीं है …….
1. SANITIZER ब्लैक करने वाले, दवाएं ब्लैक करने
वाले, डुप्लीकेट दवाई देने वाले, कौन दोषी नहीं है जो SANITIZER ब्लैक कर रहे हैं या डुप्लीकेट दे रे हैं मार्किट
में क्या वो ग्रसित नहीं हो सकते !
2. दूध में पानी दूर की बात है, ज़हर से दूध बना
के देते हैं /
3. जो ज़रूरत से जयादा खाद डालते हैं ज्यादा पैदावार
के लिए !
3. फलों पे स्प्रे कर रहें हैं , उनको ज़हरीला बना रहे हैं !
4. बीमार लोगों के लिए नारियाल पानी अमृत तुल्य
है, उसमे भी इंजेक्शन लगाने लगे हैं !
5. वो लोग जो बच्चों को घर से उठा के ले जाते
हैं और उनको भिखारी बना देते हैं !
6. बच्चों के अंगों का व्यापार करते हैं !
7. जो छोटी छोटी लड़किओं को उठा के ले जाते हैं , हार्मोन्स दे के जल्दी बड़ा
कर देते हैं और देह व्यापार में लगा देते हैं !
कोरोना पे
तो गलत इलज़ाम लग रे हैं, दोषी तो हम लोग हैं एक दूसरे के, चीन को बोल रे हैं नॉन वेज
और जानवर खाते हैं ......
इंडिया ने
तो अपनी` लड़किओं को खाया है, लड़किओं को गर्भ में खत्म करने के सबसे ज्यादा भारत में
केस हैं , वो भी जब मांस के टुकड़े में जान आ जाती है, हृदय धड़कना शुरू हो जाता है , उस बच्ची का आहें
वातावरण में एक नकारातमक ऊर्जा छोड़ती हैं/ नदी नालों में उनके शव कुत्ते और जानवर खाते
हैं उनके मन से क्या दुआ निकलेगी / कितने रेप
होते हैं, वो लड़किआं क्या असीस देती होंगी, किसी को कष्ट दोगे, ज़िंदा जलाओगे तो असीस
देगी क्या, किसी को रोड(ROD) चुबाओगे तो असीस निकलेगी क्यI ! उनकी आहें हमारे वातावरण में एक नकारातमक ऊर्जा उत्पन्न करती
है /
गलती किसी
भी सम्प्रदाय के आदमिओं ने की हो, हर्ज़ाना हमेशा औरतों से वसूला जायेगा क्या, औरत की
आह वातावरण को प्रभावित नई करेगी क्या !
बेज़ुबान जानवरों
की जब ज़िंदा खाल निकाली जाती है तो उनकी आत्मा से क्या आशीर्वाद निकलेगा क्या!
जल दूषित
कर दिया हम ने, इतना सामान नदिओं में बहा देते हैं/ ऋषिओं ने जो सामान प्रवाहित करने
की बात कही थी वो हवन की राख डाली जाती थी पानी में, जो के पानी को स्वच्छ करती थी,
क्यों के राख में कार्बन कंटेंट होता है जो के पानी को स्वच्छ रखता है , इस लिए अस्स्थियाँ
तथा राख जल प्रवाह की जाती है/
भगवान के
केलिन्डर(CALENDERS) नदी नाले में डाल के अपना काम खत्म कर देते हैं उसके बाद वो महीनों,वर्षों
जल में सड़ती रहती हैं /
कोरोना में मुख्यः जल तथा वायु महाभूत
प्रभावित हैं क्यों के फेफड़े जल तत्त्व (कफ दोष आयुर्वेद में ) का प्रतिनिध्तव करता
है /
मंदिर में
हमेशा पीतल की घंटी होती है, पीतल सबसे अच्छी धातु है जिसमे एंटी माइक्रोबियल(ANTI
MICROBIAL) प्रॉपर्टीज हैं, ये सिर्फ धवनि से वातावरण की नकारातमक ऊर्जा की शुद्धि
करती है, ये परंपरा सदिओं से चली आ रही है और हवन हवा की शुद्धि करते हैं / आज कितने
लोग मंदिर जाते हैं, आरती में सम्मिलित होते हैं, अपनी सहूलियत के लिए घर पे मंदिर
बना लिए हैं हम लोगों ने, इस के क्या नकारातमक
प्रभाव पड़ रहे हैं उनकी फिर कभी बात करेंगे
/
लोग इटली
की वीडियोस पोस्ट कर रहें हैं, वो लोग क्लैपिंग
कर रे हैं, वहां का पाठ बोल रहे हैं, ये वही काम कर रहे हैं जो हमारे मंत्र या पाठ
करते हैं , मंत्र एक खास तरीके की तरंग पैदा करते हैं जो हवा में से विषाणुओं को ख़तम करती है, जब हम लोग
जप करते हैं तो ये तरंगे हमारे शरीर के रोम रोम मे एक एनर्जी (POSITIVE ENERGY) तथा
वाइब्रेशन (VIBRATIONS) पैदा करता है जो है
जो आपके हर सेल में से टॉक्सिसिटी निकाल देती हैं/
एक की समय पे जब सब लोग जाप करते हैं या घंटी बजाते
हैं तो वो पुरे वातावरण को प्रवाभित करती है /
२२ को अगर ताली बजाने के साथ, घंटी
या किसी बर्तन खासकर कॉपर या पीतल से ध्वनि निकली जाये तो ये सारी नकारातमक ऊर्जा को
को खत्म करेगी / सोचो ५ बजे ताली, शंख नाद या घंटी से जब १३० करोड़ लोग एक साथ धवनि
नाद करेनेगे तो तो उस वायरस पे कितना असर होगा /
सोचने
योग्य तथ्य
Very Much Informative 🇮🇳
ReplyDeleteBut fiza gupta should have acted in social responsibility manner.138 people have been effected by one mistake.
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